मेरा दिमाग है उथल-पुथल,
करोड़ों विचारों से लवालव,
कभी एक कौंधता,
कभी दूसरा टपकता,
ये सिलसिला लगातार चलता,
आखिर मैं एक नतीजे पे पहुंचता,
अपनी कलम उठा लेता,
और विचारों की झड़ी लगा देता,
तब तक लिखता,
जब तक तसल्लीवक्श नहीं होता।
ये विचार भिन्न-भिन्न विषयों पे होते,
जो भी चुनता,
उसी पे उकेर देता।
अधिकतर युवाओं पे लिखता,
नई पीढ़ी से बहुत अपेक्षाएं रखता,
उनसे अपने अनुभव बांटता,
उन्हें अगर संभव हो,
सही रास्ते पे डालता,
और एक अच्छा इंसान बनने की सलाह देता।
अपनी कलम से,
पुरी जिम्मेदारी से लिखता,
कभी किसी को भड़काने का प्रयास नहीं करता,
सबको एक जुट करने पे वल देता,
एक अच्छा समाज बनाने का प्रयास करता।
जब मैं लिख बैठता,
पाठकों से प्रक्रिया की उम्मीद करता,
अगर प्रक्रिया सुहानुभूति पूर्वक,
तो उनका तय दिल से शुक्रिया करता।
और अगर प्रक्रिया आलोचना से भरी हुई,
तो भी ध्यान से पढ़ता,
उससे अपनी लेखनी सुधारने का प्रयत्न करता,
अंत में खुशी की अनुभूति करता।
–Anil Jaswal
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This is How Much You Mean to Me
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“Your Thoughts, Our Words”
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