मेरा लेखन।
मेरा दिमाग है उथल-पुथल,करोड़ों विचारों से लवालव,कभी एक कौंधता,कभी दूसरा टपकता,ये सिलसिला लगातार चलता,आखिर मैं एक नतीजे पे पहुंचता,अपनी कलम उठा लेता,
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by Deepika Singhal | Nov 11, 2019 | Guest Stories, Poetry | 0 |
मेरा दिमाग है उथल-पुथल,करोड़ों विचारों से लवालव,कभी एक कौंधता,कभी दूसरा टपकता,ये सिलसिला लगातार चलता,आखिर मैं एक नतीजे पे पहुंचता,अपनी कलम उठा लेता,
Read Moreby Deepika Singhal | May 8, 2019 | Guest Stories, Poetry | 0 |
आज फिर कुछ शब्दों से मुलाकात हुई,
घेर लिया चंद अल्फाजों ने मुझे;
कह रहे थे कुछ धीरे से,
आज शब्द भी थे कुछ भीगे से;
रास्ता थोड़ा मुश्किल था,
आंधी थी, तूफान था,
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