आज फिर कुछ शब्दों से मुलाकात हुई,
घेर लिया चंद अल्फाजों ने मुझे;
कह रहे थे कुछ धीरे से,
आज शब्द भी थे कुछ भीगे से;
रास्ता थोड़ा मुश्किल था,
आंधी थी, तूफान था,
वो रुके नहीं, ना डरे कहीं;
शायद जानते थे – मंजिल है उनकी यहीं कहीं।
जाने किसने भेजा था ?
ना जाने आज ही का दिन क्यों चुना था ?
जब थम जाता ये तूफान ,
और रुक सी जाती बारिश ,
तब भी सफ़र तय हो सकता था
तब भी मुलाकात हो जाती ;
पर ज़िंदगी कभी रुकती नहीं थमती नहीं
इंतज़ार किसी का करती नहीं ।
शब्द भी कुछ यही थे –
ना रुक मुसाफिर रस्ते में ,
है धूप यहां है छांव भी ,
तूफान है तो है बारिश भी।
मंज़िल पर रख नज़र ,
हर मुश्किल जाएगी गुज़र ;
उम्मीद रख हौंसला रख,
रख हिम्मत से हर कदम भी,
ना टूट अभी ना थक कर बैठ,
मंजिल भी मिलेगी और मंजर भी ।।
– Akanksha Singhal
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This is How Much You Mean to Me
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“Your Thoughts, Our Words”
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